गरीबों पर तानाशाही, राजनीति में उलझी करही नगर परिषद, सुपरवाइजर कहा - 'नगर प्रशासन का साहब'
सत्ताधारी पार्टी गरीबों की हितकारी कभी नही हुई हैं। अर्थात् गरीबों पर ही तानाशाही क्यों होती है क्या गरीब इंसान नहीं होते क्या उन्हें जीने का हक नहीं है? गरीबी ख़तम करने वाली पार्टी आज सिस्टम का दुरूपयोग करके गरीबी हटाने

मध्य प्रदेश के खरगोन से प्रभू रंसोरे की रिपोर्ट। खरगोन जिले के करही में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जा रही है। इस बीच बीते मंगलवार को नगर परिषद के कर्मचारी सफाई करने पहुंचे तो उनके साथ सुपरवाइजर ओमू ने व्यापारियों और लोगों के साथ लगत तरीके से व्यवहार किया। बिना नोटिस के सामान उठाने लागे तो इसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो सुपरवाइज ने कहा कहा, 'नगर परिषद के साहब ने बोला है'। इलाके में ये पूरी कार्रवाई अखीपुरा से लेकर नेहरू मार्केट तक बिना नोटिस दिए हुई हैं। इसमें व्यापारियों के बैनर और अन्य समान उठा कर ले गए।
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क्या राजनीति भेदभाव हो रहा?
स्थानिय लोगों का कहना है कि शुरुआत से ही सत्ताधारी पार्टी गरीबों की हितकारी नहीं हुई हैं। स्थानीय प्रशासन गरीबी हटाने की बजाया गरीबों पर जुल्म और तानाशाही करते हुए दिखाई दे रहा है। अधिकारी आंखें मूंदे है। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश और गुजरात प्रशानस कर रही है उसकी की तर्ज पर करही नगर परिषद के कर्मचारीयों भी वहीं रवैया अपना रहा है।
क्या नगर परिषद् करही जातिवाद कर रही है?
नगर परिषद ने जिन लोगों का सामान जब्त किया है। उनमें अधिकांश लोग गरीब तबके के बताए जा रहे हैं, जो एक विशेष जाति वर्ग पर भी कार्रवाई की गई है। आखिपुरा से लेकर नेहरू मार्किट तक जिन लोगों का सामान नगर परिषद् गुंडाई तरीके से उठाया है। इसमें छोटी जाति या गरीब वर्ग के बताए जा रहे हैं। कुछ साल पहले मैन मार्केट में अतिक्रमण होने की वजह से दो बच्चों की अलग-अलग समय पर मौत हो गई थी।
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