MP में Congress-BJP के अलावा मैदान में ये छोटे दल, किया बड़ा दावा, सरकार बनाने के लिए लेनी होंगी उनकी मदद
5 राज्यों के विधानसभा के चुनाव (assembly elections) होने जा रहा है। इनके अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। लेकिन एमपी (mp) की बात की जाएं तो भारतीय जनता पार्टी (bjp) और कांग्रेस (Congress) के अलावा छोटे दल भी मैदान में उतर गए है। छोटे कुछ दल दावा कर रहे है कि
Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश समेत इस साल के अंत में 5 राज्यों के विधानसभा के चुनाव होने जा रहा है। इनके अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। लेकिन एमपी की बात की जाएं तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा छोटे दल भी मैदान में उतर गए है। छोटे कुछ दल दावा कर रहे है कि, इस बार सरकार बनाने के लिए उनकी मदद लेनी होगी। उनके दावे कितने भारी पड़ेगे ये तो वोटिंग के बाद पता चलेगा। लेकिन उससे पहले जानते है कि, कौन राजनीतिक दल कितना मजबूत है। आइए जानते है.......
ये दल चुनावी मैदान में
प्रदेश में कई सालों से कांग्रेस-भाजपा को छोड़कर एक्का-दुक्का सीटों पर अन्य दलों के विधायक बनते आ रहे है। लेकिन इस साल राष्ट्रीय दलों और संगठनों की इंट्री हो गई है। और सबकी नजरें उन पर ही टीकी हुई है। इनमें उत्तर प्रदेश की मजबूत समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) शामिल है। इनके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) और जय आदिवासी युवा शाक्ती संगठन (जयस) दमखम से मैदान में उतर रहे है। किस इलाके में किसकी पकड़ मजबूत?
82 सीटों पर ये दल हो सकता है मजबूत
राज्य में चुनाव के चंद दिन बचे है। इसी बीच आदिवासी इलाकों में जयस और जीजीपी लंबे समय से एक्टीव है। हालांकि, जयस संगठन मजबूत स्थिति में नही है। क्योंकि दो महीने पहले तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) से एक धड़े ने गठबंधन कर लिया था। वही, दूसरे धड़े में जयस पार्टी के विधायक डॉ. हीरा अलावा बीआरएस के साथ नही है।
गौरतल है कि, एमपी में 230 विधानसभा सीटे हैं। उनमें से 82 सीटों पर आदिवासी वोटर्स बेहद ही मजबूत है। जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में सक्षम है। इन सीटों में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है, जबकि 35 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व है।
GGP ने किया ये दावा
मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के साथ जीजीपी नजदीकियां बढ़ा रही है। इतना ही नही बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस की तरफ से जीजीपी को 5 सीटें देने की भी बात हो रही है। बता दें, जीजीपी साल के शुरूआत से ही चुनावी मैदान में उतर गई है। लगातार युवाओं से संपर्क साधने का काम कर रही है। वही पार्टी ने जून में ही तल ठोक थी कि, राज्य में 100 सीटों पर अपने उम्मीद्वार उतारेंगी। वहीं, उनकी ओर से दावा किया जा रहा है कि, वह इस साल के चुनाव में प्रदेश की सबसे तीसरी पार्टी बन जाएगी और कांग्रेस हो या फिर बीजेपी उनके बगैर सरकार नही बना पाएंगी।
कांग्रेस-बीजेपी भी कई दलों के संपर्क में
बताया जा रहा है कि, कांग्रेस तो छोटे राजनीतिक दलों के संपर्क में है। लेकिन भाजपा भी कोई कसर नही छोड़ रही है। आदिवासी इलाकों में भाजपा अन्य दलों के साथ लगातार संपर्क में बनी हुई है। इनमें बसपा और सपा के कई नेता शामिल है, जो चुनाव के दौरान उनके साथ खड़े हो जाएं। पहले भी इन पार्टियों के नेता भाजपा में शामिल हो गए थे।
इन इलाकों में सपा और बसपा मजबूत
बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश से लगे इलाकों में मजबूत बताई जा रही है। इनमें एमपी के ग्वालियर, विंध्य, चंबल और बुंदेलखंड के क्षेत्र शामिल है। बता दें, ग्वालियर-चंबल में अनुसूचित जाति के वोटर्स अधिक है, जबकि विंध्य में पिछड़ा वर्ग का दबदबा है। इसके अलावा विंध्य और महाकौशल में स्थानीय दलों की अहम भूमिका बताई जा रही है।
चंद्रशेखर की पार्टी मैदान में
चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में बनी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) भी चुनावी मैदान में दमखम के साथ उतर गई है। वहीं उनके साथ कई छोटी पार्टियां योजना बना रही है कि, एकजुट होकर चुनाव लड़ा जाएं। इतना ही नही करीब 100 सीटों पर केंडिडेट्स भी उतरने की बात हो रही है। बता दें, जुलाई के अंत में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (भारत राष्ट्र समिति) और चंद्रशेखर आजाद (आजाद समाज पार्टी) के बीच मुलाकात हुई थी। इस दौरान चुनावी गठबंधन को लेकर चर्च हुई थी।
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