Khargone News: जिले में 10 दिसंबर से पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत, है क्या, और क्यों जारूरी

खरगोन में मंगलवार को राज्य टास्क फोर्स की बैठक हुई। इस दौरान जिले में पल्स पोलियो अभियान चलाने के संबंध में चर्च की गई। इस अभियान के अतिरिक्त चरण में जन्म से 5 वर्ष आयु के बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी। इसकी शुरूआत जिले में 10 दिसबंर से होने वाली है, जो 12 दिसबंस 2023 तक चलने वाला है।

नवंबर 22, 2023 - 08:26
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Khargone News: जिले में 10 दिसंबर से पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत, है क्या, और क्यों जारूरी
पल्स पोलियो अभियान

Pulse Polio Campaign: खरगोन जिले के एनएचएम मुख्यालय (NHM Headquarters) में बीते मंगलवार को राज्य टास्क फोर्स की बैठक हुई। इस दौरान जिले में पल्स पोलियो अभियान चलाने के संबंध में चर्च की गई। इस अभियान के अतिरिक्त चरण में जन्म से 5 वर्ष आयु के बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी। इसकी शुरूआत जिले में 10 दिसबंर से होने वाली है, जो 12 दिसबंस 2023 तक चलने वाला है। अभियान की तैयारियों की बैठक में महिला बाल विकास, स्कूल शिक्षा, नगरीय प्रशासन, वन, पंचायत, आदिम जाति कल्याण, आयुष, खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारी मौजूद थे। इनके अलावा डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी के साथ अन्य संस्थानों के अफसर शामिल हुए।

बता दें, जिले में पोलियो दवाई पिलाने के लिए स्थानीय बूथ के साथ माइग्रेटरी पापुलेशन को कवर करने के लिए मोबाइल टीम का भी गठन किया जाएगा। ताकि दवाई की खुराक से कोई भी बच्चा छूट न जाएं।

क्या होता है पल्स पोलियो अभियान (What is Pulse Polio Campaign?)

इस अभियान के तहत भारत ने डब्ल्यूएचओ वैश्विक पोलियो (WHO global polio eradication) उन्मूलन प्रयास के परिणाम स्वरूप 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण (PPI) कार्यक्रम की शुरूआत हुई। जिसमें जन्म से लेकर 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को पोलियो की दवाई दी जाती है। जो हर साल दिसंबर और जनवरी महीने में ओरल टीके (OPV) दो खुराकें दी जाती हैं।  

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पल्स पोलियो अभियान क्यों है जरूरी (Why is pulse polio campaign important?)

पीआई की शुरूआत ओपावी के तहत पोलियो बीमारी को खत्म करने के उद्देंश्य की गई थी। इसका लक्ष्य उन्नत सामाजिक प्रेरणा, उन इलाकों में मॉप अप प्रचालनों की योजना बनाकर बच्चों तक पहुंचा होता है। और जहां पोलियो वायरस लगभग समाप्त हो चुका है वहां की जनता के बीच उनका मनोबल बना रहे। इसके लिए सरकारों को तकनीकी और रसद संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए 1997 में राष्ट्रीय पोलियो निगरानी पारियोजना की शुरूआत की गई थी। जो सरकारों के साथ नजदीकी काम करती है। 

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