भारत आएगा 160 साल पहले का हथियार, छत्रपति शिवाजी ने अफजल खान की हत्या करने में किया था इस्तेमाल
छत्रपति शिवाजी ने 1659 की लड़ाई के दौरान धातु के पंजे या बाघ नख को अपने हाथ में छुपाए रखा था। उन्हें मौका मिलते ही अफजल खान की आंतों में घोप दिया और खान की आंतें बाहर निकाल दी थी।
भारत में 160 साल पुराने हथियार को लाने की तैयारियां जोरों से चल रही है। इसी के साथ राजनीतिक गलियारों में बयान बाजी भी शुरू हो गई है। ये हथियार ब्रिटेन की विक्टोरिया और अल्बर्ट (Victoria and Albert) म्यूजियम में फिलहाल रखा है। इसको भारत लाने के लिए महाराष्ट्र सरकार एक एमवोयू (MoU) साइन करने वाली है। जिसके बाद यह तीन साल तक भारत में ही रहेंगा। वहीं इसकी देश में जगह-जगह प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसी कारण इसे भारत लाया जा रहा है।
छत्रपति शिवाजी ने किस हथियार से मारा
17वीं सदी का शिवाजी महाराज ने अफजल खान की हत्या बाघ नख हथियार से किया था। यह बाघ नख बेहद मशहूर है। क्योंकि ये हथियार शिवाजी महाराज का था। बताया जाता है कि, उन्होंने 1659 की लड़ाई के दौरान धातु के पंजे या बाघ नख को अपने हाथ में छुपाए रखा था। उन्हें मौका मिलते ही अफजल खान की आंतों में घोप दिया और खान की आंतें बाहर निकाल दी थी।
शिवाजी और अफजल की पेंटिंग
हत्या की तारीख पर लाने का था विचार
एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के संंकृति मंत्री सुधीर मुगनंटीवार 3 अक्टूबर को बाघ नख को भारत लाने के लिए जाएंगे। इसे तीन साल तक देश में रखा जाएगा। वहीं रिपोर्ट में आगे बताया गया था कि, इसे पहले अफजल खान की हत्या की तारीख 10 नवंबर को लाने पर विचार किया गया था। लेकिन अब यह 10 नवंबर के पहले की भारत में लाया जाएगा और भिन्न-भिन्न स्थानोंं पर इसकी प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
भारत कब आएगा बाघ नख
विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम के प्रवक्ता ने कहा कि, हम बाघ नख को भारत भेजने वाले MoU पर साइन करने को तैयार है। आगे उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि, शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं जयंती पर भारत जा रहा है। इस MoU पर मंगलवार यानी कल साइन होने की उम्मीद है। वहीं तय समय पर भारत भेजे जाने की बात कही है।
बाघ नख से जुड़े कुछ अहम बातें
- म्यूजियम के बोर्ड पर कुछ ये अहम बातें लिखी है- शिवाजी ने मुगल सेना के जनरल को मार डाला। बाघ नख ईडन के जेम्स के ग्रांट-डफ को तब दिया गया था, जब वह मराठों के प्रधानमंत्री (पेशवा) के तहत सातारा में रहते थे।
- एक स्थान पर लिखा है कि, मराठों के आखिरी पेशवा बाजी राव द्वितीय ने तीसरे मराठा (अंग्रेज) युद्ध हारने के बाद जून 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद उन्हें कानपूर के पास बिठूर भेज दिया गया था।
- बताया जाता है कि, यह हथियार उन्होंने ग्रांट डफ को सौंप दिया था। लेकिन यह तक कर पाना संभन नही है कि, यह बाघ के पंजे वही है। जिनका उपयोग शिवाजी ने लगभग 160 साल पहले अफजल खान को मारने के लिए किया था।
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बाघ नख को लेकर वार-पलटवार
- बाघ नख को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। शिवसेना (Shiv Sena) और भाजपा (BJP) लगातार वार-पलटवार करते हुए नजर आ रहे है। संजय राउत ने कहा कि, असली बाघ नख शिवसेना है। यह बाघ नख का अपमान हो रहा है। भारत में जो बाघ नख हाथियार आ रहा है। उसे आप क्या करेंगे। इसका इस्तेमाल करके राज्य के स्वाभिमान और अखंडता की रक्षा के लिए किया गया था। आपने प्रदेश को दिल्ली का गुलाम बना दिया है।
- आदित्य ठाकरे ने कहा कि, जो बाघ नख हथियार भारत आ रहा है। वह यही रहेंगा की उधार लिया है। आगे उन्होंने कहा कि, क्या सच में शिवाजी महाराज का है या फिर उस समय का है।
- उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवी ने बयान देते हुए कहा कि, इस तरह का अपमानजनक सवाल पूछना शिवसेना का इतिहास रहा है। बाघ नख की प्रमाणिकता वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि, ये आदित्य ठाकरे का प्रश्न बचकाने और जवाब देने लायक नही है।
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