भारत के लिए कोयला बना मुसीबत और जरूरी भी, CSI की रिपोर्ट में हुए कई खुलासे

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के लिए इंसान के द्वारा हो रही गतिविधियों में से एक प्रमुख है। जिसमें जीवाश्म ईंधन की खपत और कोयले को सबसे गंदा ईंधन माना जाता है। क्योंकि कोयले को जलाने से बहुत उच्च स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) का उत्सर्जन होता है। और वह ग्रीनहाउस गैस होती है। जो वायुमंडल की गर्मी को रोक कर ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।

नवंबर 30, 2023 - 12:05
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भारत के लिए कोयला बना मुसीबत और जरूरी भी, CSI की रिपोर्ट में हुए कई खुलासे
कोयला

Environment News: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हर साल वायु प्रदूषण का शिकार होती है। इसकी वजह से वहां के लोगों को कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। इतना ही नहीं सरकार के सामने भी ये सवाल मुंह बाय खड़ा है। इस बीच पर्यावरण से जुड़े थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSI) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमे बताया गया है कि, दिल्ली-एनसीआर में थर्मल पावर प्लांट द्वारा स्टैंडर्ड मानकों का पालन सही से नहीं किया जा रहा है। जिससे दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। 

इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, दुनिया भर में चल रही इंसानी गतिविधियां न सिर्फ बढ़ते प्रदूषण का कारण बन ही है, बल्कि क्षेत्रीय पर्यावरण में बदलावों के लिए भी जिम्मेदार है। इसके साथ ही भारत में कोयले से चल रही गतिविधियों से जुड़े कई अहम खुलासे हुए है।  

दुनिया भर के देशों के लिए कोयला खरतरान

गौरतलब है कि, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के लिए इंसान के द्वारा हो रही गतिविधियों में से एक प्रमुख है। जिसमें जीवाश्म ईंधन की खपत और कोयले को सबसे गंदा ईंधन माना जाता है। क्योंकि कोयले को जलाने से बहुत उच्च स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) का उत्सर्जन होता है। और वह ग्रीनहाउस गैस होती है। जो वायुमंडल की गर्मी को रोक कर ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। इससे दुनिया भर की जलवायु प्रभावित हो रही है, जो परिवर्तन की ओर ले जा रहा है।

अर्थव्यवस्था के लिए कोयला क्यों जरूरी

दुनिया भर के देशों में भारत कोयले के इस्तेमाल के लिहाज से तीसरे पायदा पर आता है। अधिक मात्रा में उपोयग करने के लिए जीवाश्म ईंधनों को निकालने से यह पर्यावरण पर असर डाल रहा है। इसका इस्तेमाल कम करने के लिए दुनिया भर के देश मांग कर रहे है कि, कोयले की खपत कम होनी चाहिए। बताते चलते है कि, भारत में सबसे ज्यादा कोयला छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड राज्य में होता है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट ने वर्ष 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, भारत में कोयला उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 40 लाख लोग जुड़े है। इनमें इन तीनों राज्यों के आसपास के लोग भी यहां पर काम करते है। 

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कोयला मजदूरों के यूनियन नेता ने कहीं ये अहम बात

कोयला मजदूरों के यूनियन नेता सुदर्शन मोहंती ने हाल में एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, हमारे देश के लोगों का कोयले के बिना जिंदा रहना मुमकिन नहीं है। हमारा देश कोयले के क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए एक नई रणनीति होनी चाहिए, ताकि कोयले का काम करने वाले मजदूरों को पीछे न छोड़ा जा सके। क्योंकि कई लोगों का घर कोयले की वजह से ही चल रहा है। अगर ये काम बंद हो जाता है तो उन लाखों लोगों का क्या होगा जो केवल कोयले के काम पर ही निर्भर है। अगर कोयले का काम बंद होता है तो उनकी आजीविका संकट में आ जाएगी। 

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