क्या होता है 'विशेष राज्य' का दर्ज, जानिए इसके मानदंड और फायदें , अभी तक कितने प्रदेशों को है मिला
समग्र विकास (holistic development) के मद्देंनजर कुछ राज्यों को केंद्र सरकार विशेष श्रेणी में रखती है। जिसे विशेष राज्य का दर्जा कहते है। लेकिन भारत के संविधान में विशेष राज्य का दर्जा देने का किसी प्रकार का प्रावधान नहीं है। पहली बार वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर भारत सरकार ने असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को स्पेशल राज्य का दर्जा दिया था।
Special State: बिहार में पांच साल के बाद एक बार फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग सुनाई देने लगी है। ये तब, जब प्रदेश में हाल ही के दिनों में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सामने आई है। सीएम नीतीश कुमार ने इसकी मांग केंद्र से की है। उन्होंने इसके पहले साल 2017 में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्हें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही थी। बताते चलते है कि, 2010 में नीतीश कुमार ने पहली बार केंद्र से प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जे की मांग की थी। JDU ने इसके लिए बकायदा मुहिम भी चलाई थी। मांग तेज होने लगी तो तत्कालीन केंद्र सरकार ने अर्थशास्त्री रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी थी। जिसकी रिपोर्ट साल 2013 में आई थी। लेकिन विशेष दर्जे वाली बात वही रूक गई। ऐसे में आइए जानते है कि, क्या होता है विशेष राज्य का दर्ज और कैसे मिलता है और इसके मिल जाने से राज्य को क्या फायदें मिलते है?
क्या मतलब होता है विशेष राज्य के दर्जे का (What does special status mean?)
समग्र विकास (holistic development) के मद्देंनजर कुछ राज्यों को केंद्र सरकार विशेष श्रेणी में रखती है। जिसे विशेष राज्य का दर्जा कहते है। लेकिन भारत के संविधान में विशेष राज्य का दर्जा देने का किसी प्रकार का प्रावधान नहीं है। पहली बार वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर भारत सरकार ने असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को स्पेशल राज्य का दर्जा दिया था। इनको मिलने के बाद कई राज्यों ने इसकी मांग की शुरूआत की थी। अधिक मांगे आने के बाद केंद्र सरकार ने एक फॉर्मूला बनाया। इसके अंतर्गत आने वाले राज्यों को विशेष श्रेणी में रख लिया गया था। वर्तमान में 11 राज्य विशेष श्रेणी में रखें गए है। ये सभी प्रदेश पूर्वोत्तर के हैं। जिसमें अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल और उत्तराखंड को बाद में शामिल किया गया था।
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कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा (How to get special state)
साल 2018 में लोकसभा में केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा कैसे मिलता है, उसके बारें में बताया था। मंत्रायल के अनुसार, विशेष राज्य का दर्जा देने का मानदंड (पैमाना) राष्ट्रीय विकास परिषद के सिफारिश पर बनाया गया है। जिसमें कुछ बातें को ध्यान में रखाना अनिवार्य होता है।
- प्रदेश का भोगोलिक संरचना कैसा है। जैसे पहाड़ी और दुर्गम इलाके वाले राज्य
- किसी राज्य की सीमा से दूसरे देश की सीमा लगती है।
- जनसंख्या घनत्व किसी राज्य का कम हो।
- एक जाति के लोगों की संख्या अधिक हो।
- आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ प्रदेश हो।
- राज्य के फाइनेंंस और रकम के प्रैक्टिकल को भी देखा जाता है।
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के फायदें (Benefits of getting special state)
केंद्र सरकार प्रदेशों के विकास के लिए दो तरह से पैसे देती है। पहला अनुदान और दूसरा कर्ज के रूप में देती है। जो 30 प्रतिशत पैसा होता है, उसे अनुदान, जबकि, 70 प्रतिशत पैसा लोन (कर्ज) रूप में देती है। लेकिन जब किसी राज्य को विशेष श्रेणी में रखा जाता है। ऐसी स्थिति में प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से 90 फीसदी पैसा अनुदान, जबकि 10 प्रतिशत पैसा कर्ज के रूप में देती है। इसके अलावा राज्य को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी छूट मिलती है।
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