Chandrayaan 3 : चांद के इतने करीब पहुंचा विक्रम लैंडर, LPDC ने बनाया वीडियो, यहां देखें

ISRO ने हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, उसका नाम LPDC रखा गया है इसका मतलब ये है कि लेंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा जिसमें उन्होंने विक्रम लेंडर ने चंद्रमा की सतह का वीडियो बनाया गया है।

अगस्त 18, 2023 - 18:01
अगस्त 18, 2023 - 19:27
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Chandrayaan 3 : चांद के इतने करीब पहुंचा विक्रम लैंडर, LPDC ने बनाया वीडियो, यहां देखें

Chandrayaan 3: ISRO ने हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, उसका नाम LPDC रखा गया है इसका मतलब ये है कि लेंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा जिसमें उन्होंने विक्रम लेंडर ने चंद्रमा की सतह का वीडियो बनाया गया है। आपको बता दें ये एक तरह का कैमरा है, ये कैमरा विक्रम लेंडर के नीचे के भाग में लगा हुआ है। LPDC इसीलिए लगाया गया है क्योंकि ये अपनी सही जगह पर लैंड करें ओर सही जगह को ढूंढ सके। ISRO इस कैमरे की मदद से ये देख पाएगा कि विक्रम लेंडर किसी खराब या ऊबड़ खाबड़ जमीन पर तो नहीं लैंड कर रहा है। या किसी बड़े गड्ढे में तो नहीं गिर रहा है।

इस LPDC कैमरे को लैंडिंग से कुछ समय पहले ही ऑन किया जा सकता है क्योंकि इसरो ने को वीडियो जारी किया है उस वीडियो में जो फोटो सामने आई है उसे देख कर ऐसा लगता है कि ये इस कैमरे को ट्रायल के रूप में ऑन किया गया है। उनके ट्रायल वीडियो या फोटो से ये पता चल जाता है कि वो सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। आपको बता दें चंद्रयान 2 में भी इसी कैमरे का इस्तेमाल किया गया था।

इस कैमरे ने सही तरीके से काम किया था दरअसल LDPC कैमरे का काम ये है कि चंद्रयान में सही जगह की पहचान करना। इस पेलोड के साथ लेंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा (LHDAC), लेजर अल्टीमिटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिमिटर कैमरा (LDV), आदि कैमरे मिल कर काम करेंगे। इन सभी कैमरे की वजह से लेंडर अपनी सही जगह पर लैंड करेगा।

विक्रम लेंडर जिस वक्त चांद की सतह पर उतरेगा, उस वक्त उसकी स्पीड 2 मीटर प्रति सेकंड के लगभग होंगी। इसके अलावा जब ये होरिजोंटल होगा उस समय इसकी गति 0.5 मीटर प्रति सेकंड होगी। विक्रम लेंडर अपनी 12 डिग्री वाली ढलान पर नीचे की ओर उतर सकता है। ये सभी यंत्र विक्रम लेंडर को सही सतह पर उतरने में मदद करेंगे। लैंडिंग से 500 मीटर पहले ही ये सारे  यंत्र एक्टिवेट हो जाएंगे।

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इसके बाद ये विक्रम लेंडर में 4 चार पेलोड काम करना शुरू कर देंगे है, ये है 4 तरह के पेलोड पहला रंभा (RAMBHA)। ये चांद के सतह पर सूरज से आने वाले कणों के घनत्व और मात्रा और इसके अलावा बदलाव की जांच करेगा। दूसरा है चास्टे (CHaSTE), ये चांद की सतह के तापमान की जांच करेगा। तीसरा  इल्सा (ILSA), ये चांद के आसपास होने वाली भूकंप जैसी घटनाओं की जांच करेगा। सबसे आखिरी में आता है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA), ये  बताएगा चांद की डायनेमिक्स को समझाने में मदद करेगा।

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