Deepak Kumar: चंद्रयान-3 के लिए लॉन्च-पैड बनाने वाले ने बीवी के गहने रखे गिरवी, भुखमरी की हालत में परिवार
चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड बनाने वाले कर्मचारी ने पत्नि के गहने गिरवी रख दिए है। परिवार भुखमरी की हालत में आ गया है। सैलरी के लिए तरस रहे है।
23 अगस्त 2023 को पूरा देश खुशियां मना रहा था। पटाखे जलाकर एक-दूसरे को मिटाई खिला रहे थे। साथ इसरो के वैज्ञानिकों बधाई दे रहे थे। लेकिन चंद्रयान-3 के की उड़ान के लिए लॉन्च पैड बनाने वाले अपना जीवन-यापन करने के लिए लोगों की ठोकरे खाने को मजबूर है। बता दें, रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन HEC ने चंद्रयान-3 के लिए लॉन्च पैड बनाया था। इसके अलावा उसने इसरो के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम भी किया था। इस कंपनी में काम करने वाले 2800 वैज्ञानिक पैसे को मोहताज है। यहां तक की बीवी के अभूषण भी गिरवी रखने पड़ रहे है।
सुबह-शाम इडली, बीच में नौकरी
23 अगस्त को देश इतिहास बना रहा था। वही इस इतिहास बनाने के लिए जिस इंजीनियर ने काम किया था। वह रोड पर इडली बेचने का काम कर रहा था। जी हां, हम बात कर रहे है। एचईसी कंपनी के कर्मचारी दीपक कुमार उपरारिया की। इनकी स्टोरी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। उनके समेत 2800 कर्मचारियों को 18 महीने बीत जाने के बाद भी सैलरी नही मिली है। उनको घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुबह और शाम को इडली बेचना पड़ रहा है। साथ ही दिन के समय वह नौकरी पर जाते है।
25,000 रूपये की छोड़ी नौकरी, 8000 रूपये पर किया ज्वॉइन
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दीपक की रांची के धुर्वा क्षेत्र में पुरानी विधानसभा के सामने इडली और चाय की दुकान है। बीत कुछ दिनों से वे यहां पर सुबह और शाम के समय दुकान चलाकर परिवार का पेट भर रहे है। बीच के समय में दीपक ऑफिस जाते है। वे साल 2012 में एक निजी कंपनी में 25 हजार रूपये की नौकरी करते थे। फिर उनकी एचईसी में 8 हजार रूपये की नौकरी लग गई थी। वे आश लगाए बैठे थे कि, उनकी शासकीय नौकरी से जिंदगी संवर जाएगी।
पत्नि के गहने गिरवी रखने की आई नौबत
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, जब उनको सैलरी मिलना बंद हो गई तो घर चलाने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने लगे। फिर दो लाख रूपये का कर्ज हो गया तो बैंक ने उन्हें डिफ़ॉल्टर घोषित कर दिया। फिर उन्होंने रिश्तेदारों से पैसा उधार लेना शुरू किया। ऐसा करते-करते उनके ऊपर चार लाख रूपये का कर्ज हो गया। फिर लोगों और रिश्तेदारों ने भी कर्ज देने से इनकार कर दिया।
सभी के मना करने के बाद घर चलाने के लिए पत्नि के गहने गिरवी रख दिए। परिवार भुखमरी की हालत में आने के बाद दीपक ने इडली की दुकान खोल ली। उनकी पत्नि अच्छी इडली बनाती है। इस कारण उन्होंने यह काम चुना था। वह हर दिन 300 रूपये से 400 रूपये की इडली बेच देते है। जिससे दिन का 50-100 रूपये का फायदा हो जाता है। इससे उनका फिलहाल गुजर-बसर हो रहा है।
कंपनी के मैनेजर ने किया ये दावा
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, साल 2003 से 2010 के बीच एचइसी कंपनी ने इसरो को हैमर हेड टावर क्रेन, मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल, फोल्डिंग कम वर्टिक रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म, ईओटी क्रेन, हॉरिजेंटल स्लाइडिंग डोर्स सल्पाई किया था। लेकिन इस कंपनी ने चंद्रयान-3 के लिए किसी भी उपकरण को बनाने में कोई मदद नही ली गई। इसी बात का जवाब देते हुए कंपनी मैनेजर पुरेंदू दत्त मिश्रा ने बीबीसी को बताया कि, टेक्निकली केंद्र सरकार सही हो सकती है। लेकिन चंद्रयान-3 के लिए अगल से कोई भी लॉन्चपैड नही बनाया था। लेकिन हमारी कंपनी के अलावा भारत में दूसरी कंपनी लॉन्चपैड नही बनाती है।
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