मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय पर FIR, पूर्व RSS चीफ को लेकर कर दिया ये Tweet
गोलवरकर को लेकर एक ट्वीटर पर ट्वीट कर दिया है। इसके बाद इंदौर में उनको खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी है। इससे उनके मुश्किले बढ़ सकती है।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर से मुश्किलों में घिर गए है। पूर्व आरएसएस (RSS) चीफ सदाशिव राव गोलवरकर को लेकर एक ट्वीटर पर ट्वीट कर दिया है। इसके बाद इंदौर में उनको खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी है। इससे उनके मुश्किले बढ़ सकती है।
बता दें, दिग्विजय आए दिन किसी न किसी बात को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहते है। कभी वे पोस्ट के जरिए तो कभी अपने बयान की वजह से उनकी मुश्किलें खत्म होने का नाम नही लेती है।
कर दिया ट्वीट, हो गई एफआईआर
दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है। जिसमें उन्होंने लिखा कि.... "गुरू गोलवरकर जी दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व जमीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए।" इसके साथ उन्होंने एक फोटो भी लगाई हैं।
ये लिखा है तस्वीर में
तस्वीर में लिखा है कि, सदाशिव राव गोलवरकर ने अपनी पुस्तक "We and our nationhood identified" में स्पष्ट लिखा है। जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दे। 95 प्रतिशत जनता को भिकारी बना दे उसके बात सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।
गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों और मुसलमानों के लिए व राष्ट्रीय जल जंगल व ज़मीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए। @INCIndia @INCMP pic.twitter.com/dIYLrGUHQ3 — digvijaya singh (@digvijaya_28) July 7, 2023
शिकायर्ता ने लगाए ये आरोप
दिग्विजय के इस ट्वीट को लेकर इंदौर में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसमें शिकायर्ता ने उन पर आरोप लगाते हुए कहा कि, वे समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे है। इसी के साथ वे आरएसएस के पूर्व चीफ गोलवरकर की छवि धुमिल करने का काम भी कर रहे है। इतना ही नहीं शिकायर्ता की भावनावों को भी ठेस पहुंची है।
कौन है पूर्व RSS चीफ गोलवरकर
राष्ट्रीय स्वंय सेवक के दूसरे चीफ है। उनका पूरा नाम माधवराव सदाशिव गोलवरकर है। उनका जन्म 19 फरवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। उत्तर प्रदेश के बनारस में उनका परिचय आरएसएस के पहले सरसंचालक डॉ. हेडगेवार से एक कार्यक्रम के दौरान हुआ था। ये मुलाकात बेहद ही प्रभावित थी।
इसके बाद हेडगेवार की तबीयत ठिक नही होने के कारण 13 अगस्त 1939 को रक्षाबंधन के दिन चीफ के पद पर नियुक्त कर दिया था। उनका इस पद का सफर 33 सालों तक चला। इस दौरान उन्होंने संगठन को काफी विस्तार दिया था। 5 जून 1973 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
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